कल्कि हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार हैं, और अभी तक पृथ्वी पर प्रकट नहीं हुए हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कल्कि कलियुग (अंधेरे और अराजकता की वर्तमान उम्र) के अंत में, एक सफेद घोड़े पर सवार होकर, और एक धधकती हुई तलवार लेकर प्रकट होंगे। उसका उद्देश्य दुनिया में व्यवस्था और संतुलन बहाल करना और समाज को भ्रष्ट करने वाली बुरी ताकतों को नष्ट करना होगा।
कल्कि अवतार की कहानी कल्कि पुराण में वर्णित है, जिसमें भविष्यवाणी की गई है कि कल्कि का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में होगा, और एक दूरस्थ स्थान पर एक बुद्धिमान शिक्षक द्वारा उनका पालन-पोषण किया जाएगा। इसके बाद वे उन बुरी ताकतों को हराने के मिशन पर निकलेंगे जिन्होंने दुनिया पर कब्जा कर लिया है, और शांति और समृद्धि के एक नए युग की स्थापना करेंगे।
कल्कि अवतार के आगमन को हिंदू धर्म में आशा और नवीकरण के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, और माना जाता है कि यह सृष्टि के एक नए चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। कल्कि अवतार बुराई पर अच्छाई की अंतिम जीत और दुनिया में धर्म (धार्मिकता) की बहाली का प्रतिनिधित्व करता है।
हालांकि कल्कि के प्रकट होने का सही समय और तरीका ज्ञात नहीं है, कल्कि अवतार की अवधारणा हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है।
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